निदान शीघ्रपतन का करने के लिए एक संपूर्ण प्रक्रिया की आवश्यकता होती है जिसमें रोगी की चिकित्सा इतिहास, शारीरिक जांच, और अन्य विशेष परीक्षण शामिल हो सकते हैं। शीघ्रपतन के निदान में प्रमुख भूमिका रोगी की स्थिति को गहराई से समझने और उसे प्रभावित करने वाले कारकों का सही आकलन करने की होती है। निदान का उद्देश्य यह जानना होता है कि क्या शीघ्रपतन का कारण शारीरिक है, मानसिक है, या दोनों का सम्मिलित प्रभाव है।
शीघ्रपतन का निदान कैसे किया जाता है?
निदान की प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में की जाती है:
1. चिकित्सा इतिहास का मूल्यांकन (Medical History Evaluation)
निदान की पहली और सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया है रोगी का संपूर्ण चिकित्सा इतिहास लेना। डॉक्टर रोगी से शीघ्रपतन के लक्षणों, उसकी आवृत्ति, और इसके प्रभावों के बारे में विस्तार से सवाल पूछते हैं। इस प्रक्रिया में निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान दिया जाता है:
- लक्षणों की शुरुआत: शीघ्रपतन समस्या कब से शुरू हुई?
- लक्षणों की गंभीरता: कितनी बार शीघ्र स्खलन होता है और कितने समय में होता है?
- यौन अनुभव: क्या यौन संबंध में पहली बार से शीघ्रपतन की समस्या थी, या बाद में उत्पन्न हुई?
- अतिरिक्त स्वास्थ्य समस्याएं: क्या व्यक्ति को अन्य शारीरिक समस्याएं (जैसे मधुमेह, हाइपरथायरॉइडिज्म, या प्रॉस्टेट की समस्याएं) हैं?
- यौन संतुष्टि: क्या शीघ्रपतन से यौन जीवन में असंतोष या तनाव उत्पन्न हो रहा है?
यह जानकारी डॉक्टर को शीघ्रपतन की गंभीरता को समझने और उसके संभावित कारणों का आकलन करने में मदद करती है।
2. मानसिक स्वास्थ्य का आकलन (Assessment of Psychological Factors)
शीघ्रपतन में मानसिक कारणों की भूमिका भी बड़ी होती है। इसलिए, डॉक्टर मानसिक स्वास्थ्य का आकलन भी करते हैं। मानसिक तनाव, चिंता, अवसाद, या रिश्तों में समस्याओं का पता लगाना महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह शीघ्रपतन का एक बड़ा कारण हो सकता है। इस दौरान डॉक्टर निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं:
- प्रदर्शन चिंता (Performance Anxiety): क्या व्यक्ति यौन क्रिया के दौरान अत्यधिक चिंता या घबराहट महसूस करता है?
- रिश्तों में तनाव: क्या किसी विशेष साथी के साथ संबंधों में समस्याएं हैं जो शीघ्रपतन को प्रभावित कर सकती हैं?
- मनोवैज्ञानिक इतिहास: क्या व्यक्ति को अवसाद या किसी मानसिक विकार की समस्या रही है?
यदि मानसिक कारण स्पष्ट होते हैं, तो चिकित्सक द्वारा मनोवैज्ञानिक उपचार जैसे काउंसलिंग या थेरेपी की सिफारिश की जा सकती है।
3. शारीरिक परीक्षण (Physical Examination)
एक शारीरिक जांच शीघ्रपतन के निदान में महत्वपूर्ण होती है। डॉक्टर यौन अंगों, नर्व्स और अन्य प्रजनन अंगों की जांच करके किसी शारीरिक विकार या संक्रमण का पता लगाते हैं। शारीरिक परीक्षण निम्नलिखित शामिल हो सकता है:
- पेल्विक क्षेत्र की जांच: प्रॉस्टेट ग्रंथि, लिंग, और पेल्विक मांसपेशियों की सामान्य जांच की जाती है।
- संवेदनशीलता की जांच: डॉक्टर नर्व्स की संवेदनशीलता की जांच करते हैं, जो यह देखने में मदद करता है कि क्या नर्व संबंधी कोई समस्या शीघ्रपतन का कारण है।
शारीरिक परीक्षण से डॉक्टर को यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि शीघ्रपतन का कारण कोई शारीरिक समस्या है या नहीं।
4. प्रयोगशाला परीक्षण (Lab Tests)
अगर डॉक्टर को संदेह होता है कि शीघ्रपतन का कारण हार्मोनल असंतुलन, संक्रमण, या अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, तो वे कुछ विशेष परीक्षण कराने की सलाह दे सकते हैं। ये परीक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:
- हार्मोन परीक्षण: रक्त परीक्षण के माध्यम से टेस्टोस्टेरोन या थायरॉयड हार्मोन के स्तर की जांच की जा सकती है। हार्मोनल असंतुलन शीघ्रपतन का कारण हो सकता है।
- प्रॉस्टेट स्वास्थ्य परीक्षण: अगर प्रॉस्टेट की समस्याओं का संदेह होता है, तो डॉक्टर प्रोस्टेट-विशिष्ट एंटीजन (PSA) टेस्ट या प्रोस्टेट की जांच कर सकते हैं।
- यौन संचारित रोगों के परीक्षण: अगर संक्रमण का संदेह होता है, तो यौन संचारित रोगों (STDs) के लिए रक्त या मूत्र परीक्षण किया जा सकता है।
5. इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ सेक्शुअल मेडिसिन की गाइडलाइन
इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ सेक्शुअल मेडिसिन (International Society of Sexual Medicine – ISSM) ने शीघ्रपतन के निदान के लिए कुछ गाइडलाइन्स तैयार की हैं, जो कि कई डॉक्टरों द्वारा उपयोग की जाती हैं। इन गाइडलाइन्स के अनुसार, शीघ्रपतन के निदान के लिए निम्नलिखित लक्षणों को ध्यान में रखा जाता है:
- स्खलन की समय सीमा: शीघ्रपतन की स्थिति में स्खलन लगभग 1-2 मिनट के भीतर हो जाता है।
- स्खलन पर नियंत्रण की कमी: रोगी को स्खलन पर नियंत्रण का आभाव महसूस होता है।
- निरंतरता: यह समस्या हमेशा या ज्यादातर यौन क्रियाओं के दौरान होती है।
- नकारात्मक प्रभाव: शीघ्रपतन की समस्या से व्यक्ति या उसके साथी के यौन जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
6. पार्टनर से फीडबैक लेना (Partner’s Input)
कई बार शीघ्रपतन की समस्या को बेहतर ढंग से समझने के लिए पार्टनर का फीडबैक लेना उपयोगी हो सकता है। यह पता लगाना कि पार्टनर यौन संबंध के दौरान क्या अनुभव करता है, निदान की प्रक्रिया को और सटीक बना सकता है। डॉक्टर इस जानकारी के आधार पर भी उपचार की योजना बना सकते हैं।
7. क्लिनिकल कंडीशन टेस्ट (Clinical Condition Evaluation)
शीघ्रपतन के निदान के लिए कभी-कभी चिकित्सक विभिन्न क्लिनिकल परीक्षणों का उपयोग कर सकते हैं। ये परीक्षण यह सुनिश्चित करते हैं कि शीघ्रपतन किसी अन्य चिकित्सीय स्थिति के कारण तो नहीं हो रहा, जैसे कि:
- प्रॉस्टेट संबंधी रोग: डॉक्टर यह देखने के लिए परीक्षण कर सकते हैं कि क्या प्रॉस्टेट संबंधी कोई विकार शीघ्रपतन का कारण है।
- डायबिटीज या हाइपरथायरॉइडिज्म: डायबिटीज या थायरॉइड संबंधी विकार भी शीघ्रपतन का कारण बन सकते हैं, जिसके लिए विशेष परीक्षण आवश्यक होते हैं।
निष्कर्ष
शीघ्रपतन के निदान के लिए एक संपूर्ण और विस्तृत प्रक्रिया की आवश्यकता होती है, जिसमें रोगी के चिकित्सा इतिहास, मानसिक स्वास्थ्य, और शारीरिक स्थितियों का सही आकलन किया जाता है। शारीरिक और मानसिक दोनों कारकों का विश्लेषण करके शीघ्रपतन का निदान किया जाता है, ताकि सही उपचार और थेरेपी दी जा सके।
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